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शुक्रवार, 24 जून 2011

दुष्ट मंत्री से राजा

दुष्ट मंत्री से राजा, संसारियों की संगति से सन्यासी, लाड से पुत्र, न पढने से ब्राम्हण, कुपुत्र से कुल, खल की सेवा से शील, मदिरा पीने से लज्जा, देख-भाल न करने से खेती, विदेश में रहने से स्नेह, प्रीति न करने से मित्रता, अनीति से संपत्ति और अंधाधुंध खर्च करने से धन नष्ट हो जाता है .

A king is ruined by bad counsel, a ceilbate by (bad) company, a son by (too much) fondling, a brahman by absence of study, a family by (the birth of) a bad daughter, (one's) character by the society of profligate persons, modesty by wine, agriculture by want of care, love by living abroad, friendship by arrogent behaviour, prosperity by unfair dealing and wealth by (too much) expense and lavishness.

मंगलवार, 14 जून 2011

देवताओं की हम वन्दना करते हैं

देवताओं की हम वन्दना करते हैं, पर वह सब विधाता के आधीन दिखाई देते हैं. इसलिए हम विधाता की वन्दना करते हैं, पर विधाता भी हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं. जब फल और विधाता दोनों ही कर्म के वश में हैं, तब देवताओं और विधाता से क्या मतलब ? " कर्म " ही सर्वोपरि है. इसलिए हम कर्म को ही नमस्कार करते हैं, जिसके खिलाफ विधाता भी कुछ नहीं कर सकते.
     We salute the Gods, but really they are under the authority of Bramha, but he only awards the natural fruits of our various action, The fruits follow the actions , hence what have we to do with either Bramha or the host of Gods ? Let us then salute the action which evev Bramha can not do against.

रविवार, 12 जून 2011

मूर्ख प्राणी की चित्त वृत्ति को बदलने का उपाय स्वयं विधाता भी नहीं खोज पाए.

पानी से आग को बुझा सकते हैं, छाते से धूप को रोक सकते हैं, तेज अंकुश से हाथी को वश में कर सकते हैं, डंडे के जोर से बैल और गधे को काबू किया जा सकता है, विभिन्न प्रकार की औषधियों से रोग नष्ट किये जा सकते हैं, विविध मन्त्रों से घातक विष उतारा जा सकता है, दुस्तर महासागर से पार होने के लिए जहाज है, अन्धकार का नाश करने के लिए दीपक है, हवा करने के लिए पंखा है, धरती पर ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके उपाय की विधाता ने फिक्र न की हो, शास्त्र में सबका इलाज है, परन्तु मूर्ख प्राणी का कोई इलाज नहीं है. दुष्ट की चित्त वृत्ति को बदलने का उपाय स्वयं विधाता भी नहीं खोज पाए.
     जो मनुष्य मूर्ख को वश में करने का उपाय करना चाहता है वह हलाहल विष को पीने और भयंकर महा सर्प का आलिंगन करने की इच्छा रखता है.
Fire can be put down by water, protection from the Sun can be effected by an umbrella, an elephant can be curbed by a sharp pointed Ankush weapon, a head-strong bull or an ass can be controlled by a stick, a disease can be cured by medicines or various preventive measures and the effects of poison can be nulified by the chanting of mantras. There is a special remedy for everything given in the Shastras, but there is no remedy for an ignorent person.

राजनीति वेश्या की तरह

राजनीति वेश्या की तरह अनेक रूपिणी होती है. कहीं यह सत्यवादिनी और कहीं असत्यवादिनी, कहीं कटु भाषिणी और कहीं प्रिय भाषिणी, कहीं हिंसा करने वाली और कहीं दयालु, कहीं लोभी और कहीं उदार, कहीं अप व्यय करने वाली और कहीं धन संचय करने वाली होती है.
       उदाहारण स्वरुप बाबा राम देव का प्रकरण सामने है. ऊपर लिखी सारी बातें इस दौरान घटी हैं.  दरअसल राजाओं का काम एक नीति से चल भी नहीं सकता, कूटनीति के बिना राज्य का काम चलना मुश्किल है, और कूटनीति में केवल सत्य, दया, उदारता आदि सदगुणों से काम नहीं चल सकता मौके मौके पर रंग बदलना ही कूटनीति है. जो कि सरकार ने बाबा राम देव के साथ किया. मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस सरकार ने कुछ गलत किया. नीति शास्त्र में कहा भी गया है कि " नदियों का, नखधारी जीवों का, पर्वत की चोटियों का, हाथ में शस्त्र धारण करने वालों का, स्त्रियों का एवं राज कुल के मनुष्यों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए. बाबा राम देव जी अपनी चिट्ठी को मीडिया से छुपा गए, और राजनेताओं का विश्वास किये यह उनके जीवन की एक बड़ी भूल कही जायेगी. आखिर राजनेता कब किसका हुआ है, वह तो केवल अपने स्वार्थ सिद्धि में लगा रहता है. बाबा को एवं अन्य लोगों के लिए यह एक बड़ा सबक है.
The policy of a king like that of a prostitute is manifold. It is truthful as well as false, heartless as well as sweet-tongued, destructive as well as merciful, avaricious as well as charitable and ever prodigal as well as ever economical.

शनिवार, 11 जून 2011

धन की गतियाँ

धन की गतियाँ ३ हैं. १- भोग २- दान ३- विनाश. यदि विधाता ने धन दिया हो तो उसका भोग करना चाहिए जो धन भोग से बचे उसका दान करना चाहिए. यदि धन का न भोग किया और न दान किया तो फिर उसका विनाश तय है इसमें कोई संशय नहीं है.
मनुष्य के शरीर में आलस्य ही महाशत्रु है. उद्योग के सामान मनुष्य का दूसरा मित्र नहीं है क्योंकि उद्योग करने से दुःख पास भी नहीं फटकता है. काटा छांटा हुआ वृक्ष फिर पुष्पित और पल्लवित हो जाता है इस बात को विचार कर सज्जन लोग विपत्ति में भी नहीं घबराते हैं.
यद्यपि मनुष्यों को कर्मानुसार ही फल मिलता है और बुद्धि भी कर्मानुसार ही हो जाती है तथापि बुद्धिमानों को खूब सोच विचार कर ही कर्म करना चाहिए.
एक सर्प पिटारे में बंद था, उसे अपने जीने की आशा बिलकुल न थी. शरीर दुखी था भूंख के मारे इन्द्रियाँ शिथिल थीं, तभी रात के समाया एक चूहा पिटारे में छेद करके घुस गया. सर्प उसे खा कर तृप्त हो गया और चूहे के द्वारा किये गए छेद से बाहर निकल गया. इस उदाहरण से मालूम होता है की प्राणियों की वृद्धि और क्षय का कारण केवल विधाता ही है.

There was a snake which had lost all hope, its body all aching owing to its having been imprisoned in a cage and its senses made feeble by hunger, A mouse having made a hole into the cage at night enterd into its mouth of itself. The snake its hunger satisfied with the flesh of the mouse, speedly went out of that very hole and was free. Thus see , o men , Fate is the only cause of people's prosperity and loss. 

गुरुवार, 9 जून 2011

अग्य: सुखमाराध्य सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञ: ! ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रम्हापि च तं नरं न रञ्जयति !

अग्य: सुखमाराध्य सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञ: ! ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रम्हापि च तं नरं न रञ्जयति !...... अर्थात हिताहित ज्ञानशून्य नासमझ को समझाना बहुत आसान है, उचित और अनुचित को जानने वाले ज्ञानवान को राज़ी करना और भी आसान है, किन्तु थोड़े से ज्ञान से अपने को पंडित समझने वाले को विधाता भी नहीं संतुष्ट कर सकता है. संसार में तीन तरह के मनुष्य होते हैं. १- अज्ञ: , २- सुज्ञ , ३- अल्पज्ञ . १- जिसे अपने भले बुरे का ज्ञान नहीं होता जो निरा मूर्ख होता है  उसे अज्ञ कहते हैं. २- जिसे उचित और अनुचित का ज्ञान होता है उसे सुज्ञ कहते हैं. ३- जो अज्ञ और सुज्ञ के बीच का होता है , जिसे थोड़ा सा ज्ञान होता है ना तो वह पूरा पंडित होता है और ना ही निरा मूर्ख होता है उसे अल्पज्ञ कहते हैं.
" An ignorant person is easy to please, It is still easier to please a man of learning, but even the God Brahma can not please a man stained with the possession of partial talents. 

बुधवार, 8 जून 2011

कुछ ऐसे तथ्य जिनका जानना प्रत्येक नागरिक के लिए जरूरी है.

मेरे परम प्रिय साथियों शुभचिंतकों अब इस विजय विचार नाम के ब्लॉग पर मैं आपको कुछ ऐसे तथ्यों से अवगत कराउंगा जिनका जानना प्रत्येक नागरिक के लिए जरूरी है