राजनीति वेश्या की तरह अनेक रूपिणी होती है. कहीं यह सत्यवादिनी और कहीं असत्यवादिनी, कहीं कटु भाषिणी और कहीं प्रिय भाषिणी, कहीं हिंसा करने वाली और कहीं दयालु, कहीं लोभी और कहीं उदार, कहीं अप व्यय करने वाली और कहीं धन संचय करने वाली होती है.
उदाहारण स्वरुप बाबा राम देव का प्रकरण सामने है. ऊपर लिखी सारी बातें इस दौरान घटी हैं. दरअसल राजाओं का काम एक नीति से चल भी नहीं सकता, कूटनीति के बिना राज्य का काम चलना मुश्किल है, और कूटनीति में केवल सत्य, दया, उदारता आदि सदगुणों से काम नहीं चल सकता मौके मौके पर रंग बदलना ही कूटनीति है. जो कि सरकार ने बाबा राम देव के साथ किया. मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस सरकार ने कुछ गलत किया. नीति शास्त्र में कहा भी गया है कि " नदियों का, नखधारी जीवों का, पर्वत की चोटियों का, हाथ में शस्त्र धारण करने वालों का, स्त्रियों का एवं राज कुल के मनुष्यों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए. बाबा राम देव जी अपनी चिट्ठी को मीडिया से छुपा गए, और राजनेताओं का विश्वास किये यह उनके जीवन की एक बड़ी भूल कही जायेगी. आखिर राजनेता कब किसका हुआ है, वह तो केवल अपने स्वार्थ सिद्धि में लगा रहता है. बाबा को एवं अन्य लोगों के लिए यह एक बड़ा सबक है.
The policy of a king like that of a prostitute is manifold. It is truthful as well as false, heartless as well as sweet-tongued, destructive as well as merciful, avaricious as well as charitable and ever prodigal as well as ever economical.
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